विकास दुबे ने की डाकू छविराम की खौफनाक यादें ताजा, छविराम ने एटा में की थी 9 पुलिसकर्मियों की हत्या

मोहम्मद आमिल [caption id="attachment_3018" align="alignnone" width="875"]Kanpur, chaviram daku, Etah, Aliganj CO, Prime Minister Indira Gandhi, कानपुर, छविराम डाकू, एटा, अलीगंज सीओ, प्रधाननंत्री इंदिरा गांधी डाकू छविराम[/caption] कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसकर्मी को बदमाशो ने गोलियों से शहीद कर दिया. कुख्यात बदमाश विकास दुबे ने अपने साथियों की मदद से गांव में पुलिस टीम को घेर कर उन पर हमला कर दिया. 21वीं सदी में विकास दुबे ने 4 दशक पुराने डाकू छविराम की खौफनाक यादों को ताजा कर दिया। डाकू छविराम ने वर्ष 1981 में एटा के अलीगंज कोतवाली इलाके के गांव नथुआपुर में थानाध्यक्ष सहित 9 पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया था. प्रदेश में पुलिसकर्मियों की यह सबसे बड़ी शहादत थी. विकास दुबे ने एक बार फिर से डाकुओं की छवि को उजागर कर दिया है. [caption id="attachment_3018" align="alignnone" width="875"] डाकू छविराम[/caption] डाकू छविराम ने एटा के नथुआपुर गांव में 9 पुलिसकर्मियों को शहीद किया था. एटा की पहचान कभी डाकुओं से हुआ करती थी. 90 के दशक तक जिले में डाकुओं का अपना अलग ही रौब हुआ करता था. 80 के दशक में आतंक का पर्याय बन चुके डाकू छविराम ने राज्य से लेकर केंद्र तक की सरकार को हिला कर रख दिया था. वर्ष 1981 के दौर में एटा जनपद की अलीगंज तहसील के गांव सराय अगहत में एक सुनार के यहां डाकुओं के गैंग ने मिलकर डाका डाला दिया था. इस डकैती में पुलिस को डाकू छविराम, महाबीरा, करुआ, पोथीराम का नाम सामने आए थे. डकैती के खुलासे को तत्कालीन अलीगंज थानाध्यक्ष राजपाल सिंह जुट गए थे. पुलिस को डाकू छविराम के गिरोह की सूचना इलाके के गांव नथुआपुर में होने की मिली थी. अपने मुखबरो और पुलिस में बैठे भेदियों के जरिए छविराम के गिरोह का पीछा कर रहे इंस्पेक्टर राजपाल सिंह को थका-थकाकर निढाल कर दिया थे. उसने अपने गिरोह को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर पहले तो पुलिस को चकमा दिया फिर इंस्पेक्टर समेत नौ पुलिसकर्मियों को घेर कर हमला कर दिया था. शहीद पुलिसकर्मियों में इंस्पेक्टर राजपाल सिंह के अलावा 2 उपनिरीक्षक रावत और पांडेय व 6 पुलिस के जवान शामिल थे. वही इस हमले में 3 ग्रामीणों की भी मौत हुई थी। इस दौरान डाकू छविराम पुलिस व पीएसी जवानों के स्वचलित हथियारों को लूट लिया था. छविराम डाकू को नेताजी का भी मिला था खिताब कानपुर में पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाले बदमाश विकास दुबे का नाम राजनैतिक गलियारों में गूंज रहा है. ठीक इसी तरह डाकू छविराम का नाम गूंजा करता था. डाकू छविराम का जन्म मैनपुरी जिले के गांव औछा में हुआ था। छविराम ने 20 वर्ष की उम्र में ही बंदूक उठा लो थी. 1970 से लेकर 1982 तक छविराम का नाम डाकुओं की लिस्ट में टॉप पर हुआ करता था. छविराम का गैंग बेखौफ होकर डकैती करके भाग जाता था. छविराम को गैंग के सदस्य नेताजी के नाम से जानते थे. आसपास के ग्रामीणों में भी छविराम को नेताजी कहते थे. छविराम का खौफ राजनैतिक पार्टियों में भी बहुत था। बताया जाता है कि डकैत छविराम ने मैनपुरी में आतंक मचा रखा था। उस दौर में मुलायम सिंह यादव बीकेडी पार्टी में थे. डाकू छविराम मुलायम सिंह के कार्यकर्ताओं को शिकार बनाता था. मुलायम सिंह यादव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीवी सिंह से डाकू छविराम का खात्मा करने की गुहार लगाई थी. डाकू छविराम ने अलीगंज सीओ का कर लिया था अपहरण डाकू छविराम एटा पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. वर्ष 1981 में छविराम ने अलीगंज तहसील के गांव नाथुआपुर में 9 पुलिसकर्मियों को घेर कर मार डाला था. वर्ष 1982 में छविराम ने अलीगंज तहसील के तत्कालीन सीओ को पकड़ कर यूपी सरकार को चुनौती दी थी. छविराम ने सीओ को एक दिन बाद रिहा कर दिया था. इंदिरा गांधी के आदेश पर डाकू छविराम का हुआ एनकाउंटर एटा के अलीगंज सीओ के अपहरण के बाद डाकू छविराम का नाम देशभर में गूंज गया। मामला तत्कालीन प्रधाननंत्री इंदिरा गांधी तक पहुंचा. घटना से नाराज प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीपी सिंह को छविराम के एनकाउंटर के आदेश दिए. आदेश मिलने के बाद वीपी सिंह ने प्रदेश की पुलिस को छविराम को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के आदेश दिए . मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने तत्कालीन एसपी कर्मवीर सिंह को छविराम के खात्में की जिम्मेदारी दी. एसपी व उनकी टीम ने छविराम और उसके गिरोह को बरनाहल ब्लाक के पास सेंगर नदी की तलहटी पर घेर लिया. पुलिस के साथ कुछ जवानों ने छविराम और उसके गिरोह को घेर लिया और लगभग 20 घंटों की मुठभेड़ में छविराम के साथ-साथ 8 डकैतों को मौत के घाट उतार दिया गया. पुलिस ने इन सभी की लाशों को जंगल से बैलगाड़ी पर डालकर मैनपुरी कोतवाली ले आई. पुलिस ने छविराम सहित आठो डकैतों की लाशें मैनपुरी के क्रिश्चियन मैदान में लगे पेड़ पर लटका दी थी.