चेन्नई. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले हैं. अठावले ने एक प्रेस में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ष्सबसे बड़ा राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले हैं. इसके बाद राजस्थान का स्थान है. यहां तक कि तमिलनाडु में भी दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले बड़ी संख्या में हैं. अठावले ने कहा कि हालांकि मेरे पास राज्यों में दर्ज मामलों की सटीक संख्या नहीं है लेकिन देश भर में हर साल 60000 अत्याचार के मामले दर्ज होते हैं. तमिलनाडु में वेंगईवायल घटना में अपराधियों को पकड़ने में देरी के बारे में पूछे जाने परए जहां दलितों द्वारा पीने के पानी में मानव मल मिलाया गया था.
अठावले ने कहा कि केंद्र सरकार घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रही है. हालांकि केंद्र सरकार वेंगईवायल में घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है. केवल समुदायों के बीच शांति ही ऐसी घटनाओं को रोक सकती है. हमने तमिलनाडु में दलितों के खिलाफ अत्याचारों के बारे में चिंता व्यक्त की है और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से इस पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने को कहा है. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य जाति जनगणना करा सकते हैं. अठावले ने कहा कि राज्यों के लिए जाति जनगणना कराने का कोई प्रावधान नहीं है.
अठावले ने कहा कि केवल केंद्र सरकार के पास जाति जनगणना करने की शक्ति है. हालांकि तकनीकी कठिनाइयों के कारण हम वर्तमान में जनगणना नहीं कर सकते हैं.
दलितों के खिलाफ जातिगत अत्याचारों के समाधान के बारे में पूछे जाने पर रामदास ने कहा कि अंतरजातीय विवाह उन्हें रोक सकते हैं.
ष्लंबे समय मेंए अंतरजातीय विवाह से दलितों के खिलाफ जातिगत अत्याचारों को रोका जा सकता है। हर साल ;देश भर मेंद्ध लगभग 1ण्5 लाख अंतरजातीय विवाह हो रहे हैंए और हम ;केंद्र सरकारद्ध प्रत्येक अंतरजातीय विवाह के लिए 2ण्5 लाख रुपये दे रहे हैं। जाति विवाह जोड़ाए श्अठावले ने कहा।