महाशिवरात्रि यानि शिव और पार्वती के विवाह का दिन. आज के ही दिन भगवान शंकर घोड़े पर सवार होकर हिमालय गए और हिमालय की पुत्री पार्वती से इनका विवाह हुआ. शिव की नगरी काशी में भी आज कुछ ऐसा ही नजारा देंखने को मिला.
महाशिवरात्रि यानी शिव और पार्वती के विवाह का दिन. आज के ही दिन भगवान शंकर घोड़े पर सवार होकर हिमालय गए और हिमालय की पुत्री पार्वती से इनका विवाह हुआ. शिव की नगरी काशी में भी आज कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला.
वाराणसी पाण्डेय हवेली स्थित तिलभाण्डेशवर मंदिर से भगवान शिव की बारात निकली. भगवान शिव के बारात में देवी देवता ही नहीं बल्कि राक्षस, असुर, दैत्य, दानव, भूत प्रेत और पिशाच सभी शामिल हुए.
भगवान भोलेनाथ की इस अनोखी औघड़ बारात को देखते के लिए भक्तों का हुजूम भी उमड़ा. शिव बारात का ये नजारा सिर्फ शिव की नगरी काशी में ही देखने को मिलता है. शहर के अलग अलग जगहों से अलग अलग समय पर भगवान शिव की बारात निकाली जाती है. जिसमे हर कोई बाराती बनने को आतुर दिखाई देता है.
शहर के भेलूपुर इलाके में स्थित तिलभाण्डेश्वर मंदिर से भी सबसे कई वर्षों पहले से शिव बारात निकालने की परंपरा है. जो शहर के विभिन्न इलाकों से होते हुए वापस तिलभाण्डेश्वर मंदिर पर आकर खत्म होती है. शिव बारात के दौरान पूरा वातावरण ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजो की गूंज से गुंजायमान हो उठा और पूरा काशी शिव में रम गया. विदेशी मेहमान भी इस शिव बारात में शामिल हुए.