श्री कृष्ण जन्म स्थान की होली में विशेषता है कि समूचे ब्रज में होने वाली होलियों की संपूर्ण झांकियां इस होली में देखने को मिलती है.
श्री कृष्ण जन्म स्थान की होली में विशेषता है कि समूचे ब्रज में होने वाली होलियों की संपूर्ण झांकियां इस होली में देखने को मिलती है.
देश के कोने कोने से आए कलाकारों ने अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी कृष्ण जन्म स्थान में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही. वहीं सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम भी रहे होली का कार्यक्रम सकुशल मनाया गया.
कहते है फाग कि सोभा फाग है और फाग कि सोभा ब्रज. तभी तो यहाँ होने वाली होली होली हर दिन भक्तों को एक नया आनंद देती है. बरसाना और नंदगाँव के बाद होली का धमाल आज मथुरा में मचा रंग, गुलाल, फूल और नाच-गानों के साथ हुरियारों ने भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर खूब धूम मचाई, और पूरा जन्मस्थान परिसर राधा कृष्ण की प्रेम भरी होली के रंग में रंग गया.
प्रकर्ति के इस आलौकिक बसंत उत्सव में होली का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होली की शुरुआत द्वापर युग में श्रीकृष्ण के हाथों हुई थी और तब से ही बृज में होली का विशेष महत्व है. बृज में होली का हुल्लड़ बसंत पंचमी से शुरू होकर अगले 45 दिनों तक चलता है.
कहा जाता है कि बरसाना और नंदगाँव होली खेलने के बाद भगवान आज यानि रंग-भरी एकादशी के दिन मथुरा में होली खेलने आये थे. होली के इस पावन अवसर पर आज जन्मस्थान लीलामंच पर राधा कृष्ण के स्वरूपों ने उनकी रासलीलाओं का मंचन किया.
जिसमें मथुरा के हुरियारे और हुरियारिनों ने लोक गीतों पर जमकर ठुमके भी लगाए. फिर वहां चाहे बृज का मशहूर "मयूर नृत्य" हो या फिर "चरकुला नृत्य", इस मनमोहक प्रस्तुति को देख कर वहां मौजूद सभी श्रद्धालू मन्त्र-मुग्ध हो गए.