गोरखपुर. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और बेहतर मातृत्वस्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त बास्केट ऑफ़ च्वाइस मुहैया करा रखी है. इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किसको, कब और कौन सा साधन अपनाना श्रेयस्कर होगा. बास्केट ऑफ़ च्वाइस में परिवार नियोजन के लिए नौ साधनों को शामिल किया गया है. इस बारे में उचित सलाह के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक, परिवार नियोजन काउंसलर, आशा कार्यकर्ता और एएनएम की मदद ली जा सकती है.
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ नंद कुमार का कहना है कि जिले में 150 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन काउंसलर व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) की मदद से बॉस्केट ऑफ च्वाइस के बारे में लाभार्थी की स्थिति के अऩुसार सही परामर्श दिया जाता है. प्रत्येक माह की 21 तारीख को आयोजित होने वाले खुशहाल परिवार दिवस, प्रत्येक गुरूवार को आयोजित होने वाले अंतराल दिवस एवं प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर भी इस बारे में जानकारी दी जाती है. पुरुष और महिला नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन, कंडोम, छाया और ईसीपी की गोलियां बॉस्केट ऑफ च्वाइस का हिस्सा हैं.
महानगर के शिवपुर निवासी 28 वर्षीया स्वीटी मिश्रा बताती हैं कि पांच साल पहले जब उनको पहला बच्चा हुआ तो आशा कार्यकर्ता रंभा देवी ने उन्हें परिवार नियोजन का अस्थायी साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया. उन्हें सभी साधनों के बारे में बताया गया तो आईयूसीडी का साधन उन्हें अच्छा लगा. उन्हें बताया गया कि जब वह दूसरा बच्चा चाहेंगी तो इस साधन को हटवा सकती हैं. उन्हें चिकित्सक के पास ले जाया गया जहां उनसे उनकी सेहत से जुड़े सवाल पूछे गये और पूरी जानकारी लेने के बाद उन्हें आईयूसीडी लगाई गई. स्वीटी बताती हैं कि उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई. तीन साल बाद जब उन्हें दूसरे बच्चे की इच्छा हुई तो उन्होंने आईयूसीडी हटवा दिया और अब उनका दूसरा बच्चा दो साल का हो चुका है. एक बार फिर उन्होंने आईयूसीडी अपना लिया है.
डॉ नंद कुमार बताते हैं कि परिवार नियोजन का साधन हर लाभार्थी अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से अपनाता है, लेकिन काउंसलर और चिकित्सकों को दिशा-निर्देश है कि वह लाभार्थी के उन पहलुओं की भी जानकारी जुटाएं जिनमें कोई साधन विशेष उनके लिए उपयुक्त है या नहीं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला डेटा प्रबंधक पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 50 पुरुष नसबंदी, 10280 महिला नसबंदी, 16984 आईयूसीडी, 17889 पीपीआईयूसीडी, 8092 त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, 1.22 लाख माला एन, 16.67 लाख कंडोम, 69546 छाया और 55426 ईसीपी के लाभार्थी जिले में परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने के लिए आगे आए हैं.
योगासन करने से पहले जान लें यह जरूरी बातें
साधनों को चुनते समय यह भी रखें ध्यान
उन पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनानी चाहिए जो शादी-शुदा हों और जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम हो. उनके पास कम से कम एक बच्चा होना चाहिए जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो. पुरुष नसबंदी तभी करवानी चाहिए जब पत्नी ने नसबंदी न करवाई हो. पुरुष नसबंदी कभी भी करवाई जा सकती है.
महिला नसबंदी प्रसव के सात दिन के भीतर, माहवारी शुरू होने के सात दिन के भीतर और गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर करवाई जा सकती है. वह महिलाएं इस साधन को अपना सकती हैं जिनकी उम्र 22 वर्ष से अधिक और 49 वर्ष से कम हो. दम्पति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो. पति ने पहले नसबंदी न करवाई हो और सुनिश्चित कर लें कि महिला गर्भवती न हो और प्रजनन तंत्र में संक्रमण न हो.
आईयूसीडी को माहवारी के शुरू होने के 12 दिन के अंदर अपना सकते हैं. यदि लाभार्थी के पेडू में सूजन, एड्स या यौन संचारित संक्रमण का खतरा हो, यौनि से असामान्य रक्तस्राव हो, ग्रीवा, गर्भाशय या अंडाशय का कैंसर हो तो यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए.
प्रसव के बाद पीपीआईयूसीडी 48 घंटे के अंदर या प्रसव के छह सप्ताह बाद लगवायी जा सकती है. पानी की थैली (झिल्ली) फट जाने के 18 घंटे बाद प्रसव होने की स्थिति में, प्रसव पश्चार बुखार एवं पेटदर्द होने पर, योनि से बदबूदार स्राव या प्रसव के पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव होने पर यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए. गर्भपात होने के बाद तुरंत या 12 दिन के अंदर इसे अपना सकते हैं, बशर्ते आईयूसीडी संक्रमण या चोट न लगा हो. यह पांच से दस साल तक के लिए लगाया जाता है.
त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन प्रसव के छह सप्ताह बाद, तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने के सात दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर लगवाया जा सकता है. यह इंजेक्शन उच्च रक्तचाप (160 या 100 से अधिक), अकारण योनि से रक्तस्राव, प्रसव के छह सप्ताह के भीतर, स्ट्रोक या मधुमेह की बीमारी, स्तन कैंसर (पहले या बाद में) और लीवर की बीमारी की स्थिति में नहीं अपनायी जानी चाहिए. इसे चिकित्सक की परामर्श से ही अपनाना है.
साप्ताहिक छाया गोली प्रसव के तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने के तुरंत बाद, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं. जिन महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट, बच्चेदानी के मुंह में बदलाव, पीलिया या लीवर के बीमारी का इतिहास, किसी भी प्रकार की एलर्जी और टीबी या गुर्दे जैसी कोई गंभीर बीमारी हो तो वह इस साधन को न अपनाएं.
कंडोम का इस्तेमाल पुरुष कभी भी कर सकते हैं. यह अनचाहे गर्भ के अलावा यौन संक्रमण और एचआईवी या एड्स से भी बचाता है. गर्भनिरोधक गोली माला एन प्रसव के छह महीने बाद (केवल स्तनपान की स्थिति में), प्रसव के तीन सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के पांच दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं. यह गोली पीलिया होने या पीलिया का इतिहास होने पर, स्ट्रोक, लकवा या ह्रदय रोग, 35 वर्ष से अधिक उम्र की धूम्रपान करने वाली महिलाओं, उच्च रक्तचाप (140 या 90 से अधिक) या माइग्रेन की स्थिति में नहीं लेनी है.