20 साल बाद ढह गया बसपा का किला, खिल गया कमल, जानें कैसे हुआ ये संभव

nikay chunav

जौनपुर. उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर की नगरपालिका सीट पर 20 साल बाद बसपा का किला ढह गया. लगातार चार बार से बसपा प्रत्याशी यहां जीते रहे लेकिन इस बार भाजपा के कैंडिडेट ने 10,000 से ज्यादा मतों से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया. इससे पहले भी 1995 में भाजपा प्रत्याशी संध्या रानी श्रीवास्तव नगर पालिका के अध्यक्ष थीं. उनको 2000 में चुनाव हारने के बाद से यहां बसपा यहां लगातार चार बार जीतती रही. तब बसपा के प्रत्याशी दिनेश ठंडा ने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने जीत हासिल की. दिनेश टंडन शहर के बड़े व्यापारियों में से शामिल है और उन्हें व्यापारी वर्ग का अच्छा खासा समर्थन भी हासिल है.

उन्होंने इसके बाद 2007 में पुनः चुनाव जीता और अध्यक्ष चुने गए. 2012 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल कर जीत की हैट्रिक पूरी कर दी. 2017 के चुनाव में ये सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई. दिनेश टंडन की ने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा तो उनकी पत्नी भी चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. इस बार फिर महिला सीट होने के नाते उनकी पत्नी माया टंडन मैदान में थीं. यह माना जा रहा था कि दिनेश टंडन एक बार फिर से जीत हासिल करने में कामयाब हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके पीछे कई वजह बताई जा रही है. 

कहा जा रहा है कि नगरपालिका का बढ़ा हुआ क्षेत्र भी इसकी बड़ी वजहों में शामिल है. क्योंकि भाजपा ने मौर्य प्रत्याशी को मैदान में उतारा था जब कि किसी और पार्टी ने ऐसा नहीं किया. इसके चलते मौर्य वोट ज्यादा होने के नाते भाजपा प्रत्याशी को जीत हासिल हो गई. वहीं भाजपा का कोरा वोट भी उसी के खाते में गया. इस चुनाव में खेलकूद युवा कल्याण मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चंद्र यादव की भी साख दांव पर थी और एमएलसी ब्रजेश सिंह ने भी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके बाद कई बार सभासद रहे रामसूरत यादव की पत्नी मनोरमा मौर्य 37000 से ज्यादा वोट हासिल करके जीत हासिल की.