लखनऊ. गन्ना किसानों का कल्याण और गन्ने की खेती को लाभदायक बनाना राज्य सरकार की प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक रहा है, एक सरकारी प्रवक्ता ने सोमवार को ये बात कही. गौरतलब है कि विपक्ष की बार-बार मांग के बावजूद राज्य सरकार द्वारा गन्ने के राज्य सलाहकार मूल्य (एसएपी) में बदलाव नहीं किए जाने के महीनों बाद यह बयान आया है. आगामी निकाय चुनावों से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह एक प्रमुख मुद्दा है.
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि “सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि गन्ने की खेती की लागत कम रहे. इसने पहले सभी बकाये का भुगतान कर दिया था और अब प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसमें कृषि आदानों की समय पर उपलब्धता और सिंचाई के अपेक्षाकृत कुशल संसाधनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है."
उन्होंने कहा कि पानी की पर्याप्त उपलब्धता गन्ने की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एक अनुमान के मुताबिक गन्ने की फसल को 1500 से 2500 मिमी पानी की जरूरत होती है. ड्रिप इरिगेशन (ड्रिप सिस्टम) से पानी की बर्बादी को कम किया जा सकता है. सरकार गन्ना विकास कोष स्थापित करने की भी योजना बना रही है ताकि किसान समय पर कृषि निवेश ले सकें.