गोरखपुर. अपनी खनकती आवाज का जादू कुछ इस तरह बिखेरा कि चंपा देवी पार्क में श्रोता लोक के रंग में रंग गए. 'गोरखपुर महोत्सव' के दूसरे दिन 'भोजपुरी नॉइट' में लोकगायन की प्रस्तुति हुई. कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच रात 8.45 बजे मालिनी अवस्थी जैसे ही मंच पर पहुंची, उत्साहित पब्लिक ने तालियों से उनका जोरदार स्वागत किया. अपनी तालीम, साधना और अभ्यास का परिचय देते हुए मालिनी ने भी अपने सुरों काे साधा.
उन्होंने वाजत अवध बधैया, गुदना गोद-गोद हारी, निकला देशी.. लागे बलमवा, नीर चुअत है आधी रात, रामजी से पूछे जनकपुर की नारी, केसरिया बागवान हो, नखरेदार बन्नों आई पिया, सारी कमाई गंवाई रसिया, मोरे बन्ने को अचकन सोहे- बन्ना मोरा जुग-जुग जिये, अपने चित-परिचित अंदाज में- सैंया मिले लरकैयां मैं का करूं आदि गीत प्रस्तुत किए और मोरे रामा अवध घर आये से अपनी तमाम प्रस्तुतियां दी.
हालांकि, मालिनी अवस्थी ने अपने गायन की शुरुआत गणेश वंदना ' घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो...' से की. इसकी बाद श्रोताओं और मंच के बीच सम्मोहन का क्रम देर रात तक चलता रहा. इसके बाद उन्होंने अपने सबसे चर्चित गीतों की श्रृंखला में रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे, जवने टिकसिया पिया मोरे जाएं, पनिया बरसे टिकट गली जाए रे.... गाकर ग्रामीण महिलाओं की तब की विरह वेदना को उकेरा, जब पति नौकरी के लिए मुंबई दिल्ली जैसे शहरों में ट्रेन से जाते हैं, सईयां मिले लरिकइया मैं क्या करूं..., तार बिजली से पतले हमारे पिया गाकर सभी का खूब मनोरंजन किया.