आगरा. सिविल सोसाइटी ने जनप्रतिनिधियों और संबंधित प्रमुख संगठनों को पत्र लिखकर मांग की है कि जनप्रतिनिधि वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट सत्र में संसद के दोनों सदनों में सिविल एन्कलेव' आगरा की शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के लिए बजट आवंटन का मुद्दा जरूर उठाएं और लाविंग करके इसका प्रावधान करवाने का प्रयास करें.
लंबित रहने से लागत बढी
मौजूदा सरकार का यह अंतिम पूर्ण बजट है. 2024 में भी सरकार अपना बजट प्रस्तुत करेगी लेकिन वह मौजूदा एनडीए द्वितीय ( National Democratic Alliance (NDA) का काम चलाऊ यानि अंतरिम बजट होगा. इस बजट से सिविल एन्कलेव आगरा जैसे महत्वकांक्षी एवं बड़े बजट वाली योजना को लेकर कुछ खास अपेक्षित नहीं किया जा सकता है.
दो गुना बढ़ जाएगा बजट
सिविल एन्कलेव प्रोजेक्ट के लिए पिछले वित्तीय वर्ष तक पूर्व सरकार का स्वीकृत अंतिम बजट उपलब्ध था, लेकिन प्रोजेक्ट पर काम शुरू न हो पाने को आधार बना कर वित्तीय विभाग के द्वारा इसे अन्य किसी प्रोजेक्ट के डायवर्ट कर दिया गया था. अब कई वर्ष बाद काम शुरू होने से रिवाइज्ड एस्टीमेंट पिछले से कुछ अधिक होगा. शायद अब तो पीआर पर भी नए सिरे से काम शुरू हो चुका है.जो जानकारी प्राप्त हुई है उसके तहत सिविल एन्कलेव शिफ्टिंग प्रोजेक्ट के तहत बल्हेरा, धनौली और अभयपुरा गांवों की करीब 30 हजार sq.mtr जमीन पर कार्य होना है. 600 करोड़ से अधिक इस पर खर्च आना है जबकि पूर्व में केवल 398.14 करोड़ की ही लागत आनी थी.
लाबिंग के लिए इन्हें लिखे पत्र
वैसे तो प्रोजेक्ट की महत्ता को देखते हुए प्रदेश सरकार को खुद अपने स्तर से ही लॉबिंग करनी चाहिए. प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री से इसके लिए खास सक्रियता अपेक्षित है.सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने बजट संबधी लाबिंग करने के लिए आगरा से संबंधित जिन कुछ नेता और उद्योगपतियों को पत्र लिखे हैं, उनमें केन्द्रीय मंत्री एवं आगरा के सांसद प्रो.एस सिंह बघेल, फतेहपुर सीकरी के विधायक चौधरी बाबू लाल, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य, कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व मंत्री राजा अरिदमन सिंह के अतिरिक्त नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज यूपी आगरा ,लघु उद्योग भारती ,टूरिस्ट गिल्ड, बजट होटलों के संगठन आदि शामिल हैं. ये सभी वह संगठन हैं जैसे कि आगरा की ढांचागत जरूरतों को लेकर आवाज उठाते रहते हैं.
न्यायालय में लंबित रखने का प्रयास किया
सिविल सोसायटी के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि अब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. कुछ प्रभावशाली पर्यावरण सक्रिय महानुभावों (एक्टेविस्ट) ने अपनी पहुंच क्षमता का आगरा के हितों के विरुद्ध इस्तेमाल करके दिल्ली के टूरिस्ट ट्रेड को फायदा पहुंचाने के खेल में संलिप्त रहे. जहां एक ओर दिल्ली लाबी के हमकदमों ने मामले का न्यायालय में लंबित कर खने का हरभरसक प्रयास किया वहीं इसे प्रचारित एवं आधार बनाकर कोर्ट में पेंडिंग बनावाये रखा. प्रोजेक्ट को जितनी जल्दी हो सके पूरा करवाया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. वायुसेना परिसर आगरा से सिविल एन्कलेव बाहर आते ही आगरा का थमा सा पड़ा अर्थतंत्र बिना किसी के रहम करम के स्वत: ही गतिशील हो जायेगा.
देश में 40 प्रतिशत तक वायु सेवाओं का अगले तीन साल के भीतर विस्तार होना है
जो स्टेटिक्स जानकारी में आयी है, उसके तहत एयरपोर्ट अथॉरिटी के उ प्र में स्थित अधिकांश हवाई अड्डे लाभ की स्थिति में नहीं हैं। जबकि सिविल एन्कलेव शिफ्ट होते ही बड़े मुनाफे वाला प्रतिष्ठान होगा। फिलहाल इंडिगो यहां से ऑपरेशन कर रही है , टाटा प्रबंधित एयर इंडिया भी यहां गतिविधियां शुरू कर सकती है। अगर संभावनाओं के अनुरूप कार्य हुए तो देश में 40 प्रतिशत तक वायु सेवाओं का अगले तीन साल के भीतर विस्तार होना है. अधिकांश एयरलाइंसों का यात्रियों के 'फुट फाल ' को लेकर अपना अध्ययन है और उन्हें आगरा में अपने लिये बडी मार्केटिंग संभवनाये प्रतीत हो रही है।
पर्यटन से संबंधित संगठन भी सक्रिय हों
सिविल सोसायटी नागरिक उड्डयन को बढावा देने को हर संभव प्रयास करती रही है,हम अपनी सीमाएं समझते हैं और इसलिए अब जनप्रतिनिधियों और आगरा के हित चिंतकों से अपने प्रभाव के उपयोग की अपेक्षा रखते हैं.