सरकारी स्कूलों से कैसे निकलें लाट साहब, 10 लाख टीचरों की जगह है खाली, ऐसे हुआ खुलासा
नई दिल्ली. सरकारी स्कूल के बच्चे भी गिटपिट अंग्रेजी बोलें. स्टेट और नेशनल लेवल पर मैडल जीतें. और जब पढ़-लिख जाएं तो देश की बड़ी-बड़ी परीक्षाएं पास कर लाट साहब भी बनें. लेकिन ऐसा न होने पर सरकारी स्कूलों को कटघरे में खड़ा किया जाता है. हज़ारों करोड़ रुपये के बजट को बेकार पानी में बहाए जाने के कमेंट किए जाते हैं. लेकिन यह कोई नहीं जानता कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो जाने के बाद आज भी सरकारी स्कूल में टीचरों की लाखों पोस्ट खाली पड़ी हैं. आरटीआई में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिले एक जवाब में इसका खुलासा हुआ है.
टीचरों की कमी से 5 राज्यों का है सबसे बुरा हाल
दिल्ली-एनसीआर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से देश के बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित कुछ सवालों की जानकारी मांगी थी. कार्यकर्ता ने पूछा था कि कक्षा एक से लेकर 8 तक के सरकारी स्कूलों में तैनात टीचरों की संख्या कितनी है. वर्तमान में कितने टीचर स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वहीं अलग-अलग राज्यों में टीचरों के खाली पदों की संख्या कितनी है. जिसके जवाब में एमएचआरडी ने बीते 7 साल की जानकारी देते हुए यह बताया.
आरटीआई के मुताबिक यूपी में 3.85, बिहार 2 लाख, झारखण्ड 80 हज़ार, पश्चिम बंगाल 66 हज़ार और मध्य प्रदेश में 66 हज़ार टीचरों की कमी है. देश में कुल टीचरों की संख्या 51.62 लाख और कमी 10.22 लाख है.
देश के इस सबसे बड़े शिक्षा अभियान में भी है टीचरों की कमी
एमएचआरडी से आए आरटीआई के जवाब की मानें तो कक्षा 1 से 8 तक बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित होने वाले स्कूलों में राज्य सरकार और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत टीचरों की नियुक्ति होती है. एसएसए का बजट केन्द्र सरकार की मदद से मिलता है.
लेकिन राज्यों में दोनों ही तरह के टीचरों की हालत ठीक नहीं है. राज्य सरकार के अधीन आने वाले टीचरों की कमी 5.30 लाख है तो एसएसए के अंतर्गत आने वाले 4.91 लाख टीचरों का टोटा है. अगर नियम की मानें तो देश में प्रइमारी लेवल पर 23.1 और जूनियर हाईस्कूल लेवल पर छात्र और टीचर अनुपात 25.1 होना चाहिए.