6 सीएम को एक साथ इस्तीफा दिलाने वाले कामराज को क्या जानते हैं आप? नहीं... तो यहां पर जानिए

नई दिल्ली. रसातल में जा रही कांग्रेस पार्टी अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए जद्दोजहद कर रही है. ऐसे में उनके नेता संगठन छोड़ सत्ता के लिए लड़ रहे हैं. मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. अब नेता संगठन में काम नहीं करना चाहते, उन्हें हर हाल में सत्ता में बने रहने की आदत पड़ चुकी है. यही कारण है जमीन पर संगठन कमजोर हुआ. एक के बाद एक राज्य कांग्रेस ने अपने हाथ से गवा दिए. जहां बची हुई है वहां कांग्रेसी कुर्सी की महत्वाकांक्षा के चलते सरकारों को भी दाव पर लगा रहे हैं. ऐसे में आज कांग्रेस को के कामराज जैसे नेता याद आ रहे हैं जिन्होंने कुर्सी नहीं संगठन में काम करने के लिए खुद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा हीं नहीं दिया बल्कि अपने साथ अलग-अलग छह राज्यों के मुख्यमंत्रिययों से भी इस्तीफा दिलवाया. आज 15 जुलाई है इसी तारीख यानी 15 जुलाई 1903 को के कामराज का जन्म हुआ. आज उनकी जयंती है. सियासी खींचतान के बीच लोग कामराज को याद कर रहे हैं. ऐसे नेता आज के दौर में होते तो ये सब देखने को नहीं मिलता. ये है वो किस्सा जिसके लिए के कामराज को याद करते हैं नेता दक्षिण भारत के के कामराज यानी कुमारस्वामी कामराज देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते थे. एक बार ऐसा मौका आा जब उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की बात चल रही थी तो उन्होंने हिंदी न आने के कारण प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया था. एक बात के लिए कामराज को और जाना जाता है जिले कामराज प्लान के नाम से जानता है. वेे है पार्टी संगठन को मजबूत करने की फिक्र में हमेशा रहते थे. तभी तो एक साथ छह-छह मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा दिला दिया. वे 60 के दशक में आजाद भारत के किंगमेकर भी कहे जाते थे. सन 1962 के आम चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फिर देश की बागडोर संभाली, लेकिन कुछ ही महीनों में चीन के साथ युद्ध हो गया, जिसमें भारत को शिकस्त मिलीण् पंडित नेहरू और पार्टी की लोकप्रियता में खासी गिरावट आ गई. जिसका असर यह हुआ कि 1963 में 3 लोकसभा उपचुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. इस संकट से बाहर निकालने के लिए कामराज ने पंडित नेहरू को सुझाव दिया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मंत्री पद से इस्तीफा देकर संगठनात्मक कामों में जुट जाना चाहिए. उनका यह सुझाव कामराज प्लान के नाम से जाना गया. इसके लिए उन्होंने खुद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और नेहरू से संगठन का काम करने की इच्छा जताई. ' कामराज प्लान' का मकसद मुख्य रूप से कांग्रेसियों के मन से सत्ता के लालच को दूर करना था, और इसके स्थान पर संगठन के उद्देश्यों और नीतियों के लिए एक समर्पित लगाव पैदा करना था. इस प्लान को कांग्रेस कार्यसमिति CWC ने भी पास कर दिया. इस प्लान के अमल में आते ही 6 मुख्यमंत्रियों और 6 केंद्रीय मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ गया. इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्रियों में खुद कामराज भी शामिल थे जिन्होंने तत्कालीन मद्रास अब तमिलनाडुद के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनके अलावा उत्तर प्रदेश के चंद्रभानु गुप्ता, ओडिशा के बीजू पटनायक और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत राव मंडलोई ने भी इस्तीफा दिया.छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा 6 केंद्रीय मंत्रियों को भी इस्तीफा देना पड़ा जिसमें लाल बहादुर शास्त्रीए मोरारजी देसाई और बाबू जगजीवन राम जैसे कद्दावर नेता शामिल थे. इसके कुछ दिन बाद ही कामराज को 9 अक्टूबरए 1963 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया. कामराज अपनी इस खास योजना के अलावा किंगमेकर की भूमिका के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने 2 मौकों पर देश के प्रधानमंत्री के चयन में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री चयन में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है. इसके 2 साल बाद शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के रूप में चयन में भी उनकी बड़ी भूमिका रही और दोनों ही मौकों पर उन्होंने मोरारजी देसाई का रास्ता रोकाण् हालांकि देसाई बाद में देश के प्रधानमंत्री बनेण् हालांकि बाद में कुमारस्वामी कामराज ने पार्टी छोड़ दी थीण् 1976 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. हालांकि ये सम्मान उनके मरणोपरांत दिया गया था.