खबरदार चीन! अब भारत देगा ऐसे जवाब, लद्दाख में लगेंगे इतने सैटेलाइट फोन टर्मिनल

नई दिल्ली. चीन की नापाक हरकातों का करारा जवाब देने के लिए हिंदुस्तान ने भी अपनी पूरी तैयरी कर ली है. दगाबाज चीन की हर हरकत पर नजर रखने और उसकी मुहंतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने अपने आधुनिक हथियार तो तैनात कर ही दिए हैं. इसके अलावा सरहद के इलाकों को दूर संचार से कनेक्ट करने के लिए काम शुरू कर दिया है. इसके लिए तेजी से काम शुरू कर दिया है. भारत लद्दाख इलाके में 134 डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित करने का प्लान बनाया है. इससे भारत चीन की हर एक उस नापाक हरकत पर नजर रख सकेगा जो भारत के खिलाफ कर रहा है. [caption id="attachment_1242" align="aligncenter" width="900"] file photo[/caption] लद्दाख में अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने की फितरत में रहने वाले चीन को अब भारत करारा जवाब देने की योजना बना चुका है. भारत गोला-बरूद के अलावा लद्दाख सरहदी क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए, वहां पर संचार के माध्यमों को ठीक करने में जुटा है. हिंदुस्तान लद्दाख के सीमावर्ती गांवों में संचार सुविधाओं को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने लद्दाख में 134 डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित करने की योजना बनाई गई है. लद्दाख के एग्जिक्यूटिव काउंसर कुनचोक स्टांजी ने बताया कि लद्दाख के 57 गांवों में तेजी से संचार तंत्र को मजबूत किया जाएगा. इसके लिए पिछले आठ सालों से कोशिश की जा रही थी. उनके मुताबिक लेह लिए 24 मोबाइल टाबर की अनुमति मिल गई है लेकिन अभी 25 और टाॅवर की जरूरत है. पहले चरण में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कनेक्टिविटी पर 336.89 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अकेले लद्दाख पर ही 57. 4 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इससे जम्मू-कश्मीर के भी गई गांवों में लोग फोन सुविधा का फायदा उठा सकेंगे. उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में सैटेलाइट फोन कनेक्शन मिलेगा उसमें गलवान घाटी, दौलत बेग, ओल्डी, हाॅट स्प्रिंग्स, चुशूल इलाके शामिल हैं. ये सभी क्षेत्र वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे हैं. गलावन घाटी में ही अभी विवाद के चीनी सैना से संघर्ष हुआ था जबकि दौलत बेग ओल्डी में भारत का सैन्य ठिकाना है. काउंसर स्टांजी ने कहा कि चीन ने अपनी सीमा में फोन नेटवर्क का तेजी से विस्तार किया है. उनके यहां पर नेटवर्क की स्थिति ठीक है. भारत ने भी इसी दिशा में अब काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि यहां की विषम भौगोलिक परिस्थिति की वजह से हर गांव में एक मोबाइल टाॅवर की आवश्यकता होती है. इस लिहाज से यहां अभी और मोबाइल टाॅवर की जरूरत है. बाॅर्डर से सटे कई गावों में अभी भी नेटवर्क की समस्या रहती है. मगर इस कवायद के बाद यहां पर ये समस्या दूर हो जाएगी.