सामना संपादकीय में संजय राऊत ने सुशांत के आत्महत्या की खबरों पर उठाए सवाल

मुंबई. शिवसेना का प्रसिद्ध मुखपत्र सामना जो की अपने संपादकीय लेख के लिए काफी प्रसिद्ध है, एक बार फिर उस मुखपत्र ने वर्तमान के सबसे चर्चित मुद्दे पर अपनी राय रखी है. सामना के संपादकीय में इस बार शिवसेना से राज्यसभा सांसद, सामना के कार्यकारी संपादक संजय राऊत ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या मामलों पर अपनी राय प्रकट की है. संजय राऊत ने मीडिया, सोशल मीडिया पर प्रहार करते हुए लिखा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने खुदकुशी कर ली. इस घटना को लगभग महीना भर बीत चुका है. इतने दिन बाद भी प्रसारमाध्यम में रिक्त स्थान भरने के लिए आत्महत्या की घटना का इस्तेमाल किया जा रहा है. ‘लॉकडाउन’ में चूल्हे हमेशा के लिए बुझ गए इसलिए पुणे में राजेश शिंदे नामक युवक ने दो मासूम बच्चों के साथ खुदकुशी कर ली. उसकी खुदकुशी की फाइल बंद हो गई, सुशांत की खुदकुशी का उत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन इसमें शिंदे परिवार के लिए जगह नहीं है. उन्होंने लिखा कि सुशांत की आत्महत्या का मामला अचानक उत्सव में तब्दील हो गया. यह एक तरह की विकृति है. इस आत्महत्या के पीछे कोई रहस्य छिपा है, ऐसा कुछ लोगों को लगता है. सुशांत खुदकुशी करेगा, ऐसी आशंका एक फिल्म निर्माता ने जताई थी, लेकिन सुशांत को बचाने के लिए उसने क्या किया? देश में कोरोना का कहर, रोज सौ-पांच सौ लोग कोरोना से मर रहे हैं. उस पर चीनी हमले में 20 जवान शहीद हो गए. फिर भी सुशांत की खुदकुशी की खबर महीने भर से जगह पा रही है. राऊत ने अपने लेख में सुशांत के मौत की सीबीआई जांच की मांग करने वाली भाजपा सांसद रूपा गांगुली पर भी हमला किया, साथ ही साथ उन्होंने इसी बीच हुई कई आत्महत्याओं को लिखते हुए कहा कि सुशांत का दुःख यदि उसके व्यवसाय को लेकर था, तब तो लॉकडाउन में इस कारण से ना जाने कितनी आत्महत्याएं हुई, फिर उन पर लोगों के प्रति संवेदनाओं का ये दौर क्यूं नहीं चला. हर खुदकुशी दुःख की बात है, जैसे कोपरखैरने क्षेत्र में अमर पवार नामक ४० वर्षीय व्यक्ति द्वारा खुदकुशी किए जाने की खबर सामने आई. लॉकडाउन के कारण उसकी नौकरी छिन गई थी, आर्थिक परेशानी बढ़ गई थी, वह पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था. उसकी छोटी बेटी दिव्यांग है. उसकी चिंता का बोझ बढ़ गया और अमर पवार ने खुदकुशी कर ली. अमर पवार की मौत से मैं ज्यादा चिंतित हूं, क्योंकि भविष्य में ऐसे कई अमर पवार आत्महत्या करेंगे, ऐसे हालात आज दिख रहे हैं, जो कि गंभीर बात है. संजय राऊत ने सुशांत की तारीफ करते हुए लिखा कि वह एक गुणी अभिनेता थे. सुशांत सिंह राजपूत ने अन्य फिल्मों में भी अभिनय किया, जब उसने खुदकुशी की तब 6 निर्माताओं से उसका करार हुआ था. कुछ हद तक मैं खुद भी इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ हूं. ‘ठाकरे’ का निर्माण खत्म होने के बाद जॉर्ज फर्नांडीज की ‘बायोपिक’ बनाना तय हुआ था. जॉर्ज की भूमिका साकार करने के लिए चेहरे के रूप में दो-तीन अभिनेताओं का नाम सामने आया. उसमें एक नाम सुशांत का भी था. धोनी के कारण वह मेरी नजर में था, लेकिन दो दिन बाद मुझसे कहा गया कि सुशांत बेहतरीन कलाकार है. वह इस किरदार को बखूबी निभाएगा, लेकिन फिलहाल उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. वह डिप्रेसन का शिकार है. फिल्म के सेट पर उसका बर्ताव अजीब होता है। इससे सभी को परेशानी होती है. कई बड़े प्रोडक्शन हाउस ने इसी वजह से उससे करार तोड़ लिया है. सुशांत ने खुद ही अपने करियर की वाट लगा ली, ऐसा जानकारों का कहना था और इसके बाद दो महीने में सुशांत के खुदकुशी की खबर आ गई. इससे पर्दे पर का संभावित ‘जॉर्ज’ पर्दे के पीछे चला गया. संजय राऊत ने सुशांत के आत्महत्या पर सवाल उठाने वालो को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा कि सुशांत खुद की ज़िन्दगी से हार गया था, प्रमुख अभिनेत्री कंगना रनौत ने बॉलीवुड के कुछ गिरोहबाजों का पर्दाफाश किया. इस क्षेत्र में `परिवारवाद और कुछ टोलीबाजों’ की दहशत है, ऐसा कंगना कहती हैं लेकिन फिर भी कंगना अपने क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पर पहुंच ही गई हैं. सोनू निगम ने संगीत उद्योग में व्याप्त माफियागिरी पर हमला किया, उसमें अबु सलेम का नाम आया. यह परिवारवाद क्रिकेट, राजनीति, उद्योग ऐसे सभी क्षेत्रों में है. फिर भी नए लोग आते हैं और नाम कमाते हैं. परिवार और परिवारवाद से ज्यादा अच्छा काम बोलता है. जो पांव जमाकर खड़े रहते हैं, वही संघर्ष से आगे बढ़ते हैं. आज सुशांत सिंह के बारे में सर्वाधिक चर्चा उसके ‘अफेयर्स’ अर्थात लफड़ों को लेकर ही हो रही है, ब्रेकअप कर चुकी उसकी महिला मित्र आज पुलिस थाने के चक्कर काट रही हैं और मीडिया उन लड़कियों का पीछा कर रहा है. इनमें से किसी भी अभिनेत्री का नाम सुशांत ने अपनी किसी चिट्ठी में लिखा हो ऐसा दिख नहीं रहा है. सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को हत्या बताने वाले लोगों से संजय राऊत ने सीधा सवाल किया है कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में एक बात स्पष्ट है, वह यह कि ये हत्या नहीं है. उसने सीधे अपने ही घर में आत्महत्या की. अब कुछ प्रश्न ऐसे हैं- 1) सुशांत बीते कुछ दिनों से कई मनोचिकित्सकों से इलाज करा रहा था. इस दौरान उसने मानसिक विकारों से संबंधित चिकित्सक बदले लेकिन कुछ लाभ नहीं हुआ. 2) सुशांत ने खुदकुशी से पहले कोई चिट्ठी (सुसाइड नोट) वगैरह लिखकर नहीं रखी थी. फिर भी सुशांत से संबंधित कई महिलाओं एवं इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से 11-11 घंटे पूछताछ की जा रही है. ये किसलिए? 3) सुशांत के पास काम नहीं था, यह झूठ सिद्ध हो रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी थी. वह जिस मकान में रह रहा था उसका किराया 5 लाख रुपए के आसपास था. उसके पास महंगी गाड़ियां थीं. वह हर महीने १० लाख रुपए खर्च करता था, यह जगजाहिर है. अर्थात वह इसका लुत्फ उठा रहा था. 4) मैंने कहीं पढ़ा था कि यशराज फिल्म्स द्वारा सुशांत के साथ किए गए करार की पुलिस प्रत्यक्ष जांच कर रही है. इस करार की प्रति पुलिस ने मंगाई है. इस करार से कौन-सा सूत्र हाथ लगेगा? 5) सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद उसका किस अभिनेत्री से कैसा संबंध था? ये प्रकाशित हुआ. कम-से-कम १० अभिनेत्रियों के साथ ऐसे संबंधों का खुलासा हुआ है तथा इनमें से कुछ अभिनेत्रियों को पुलिस ने पूछताछ के लिए लगातार बुलाया. इसकी आवश्यकता नहीं थी. एक 34 वर्षीय अभिनेता अलग-अलग अभिनेत्रियों से संबंध रखता है. उनमें कई लड़कियों से उसका ब्रेकअप हो चुका था और नाकामी से निराश होकर बाद में यही सुशांत आत्महत्या कर लेता है। उसके पास वैभव था, कीर्ति थी, जीने के साधन उपलब्ध थे, परंतु उसकी गाड़ी में ब्रेक नहीं था. सुशांत एक अभिनेता था तथा निराशा के गर्त में जाकर जैसे अन्य लोग मौत को गले लगाते हैं, उसी तरह मौत स्वीकार की. उसका कुछ निर्माताओं और बड़े कलाकारों से संबंध खराब हुआ होगा, लेकिन आज उसी क्षेत्र में आयुष्मान खुराना से लेकर नवाजुद्दीन सिद्दिकी तक कई लोग दृढ़ता के साथ खड़े हैं. हमारे पिता बड़े स्टार रह चुके हैं, कई स्टार पुत्र इस वजह से पर्दे पर नहीं चले हैं. शाहरूख खान, सलमान खान की फिल्में भी धराशाई होती हैं और नए कलाकारों की फिल्में चलती हैं, उन्हीं में सुशांत राजपूत भी था. सुशांत का इलाज करने के लिए मनोरोग चिकित्सकों की फौज खड़ी थी, लेकिन जो मन से ही हार गया है, उस पर मनोचिकित्सक क्या करेंगे? ये पूरी मानसिक चिकित्सा का प्रयोग बाबा रामदेव कोरोना की दवा लाने के शोर मचाने जैसा ही है. इंदौर के आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने खुदकुशी कर ली. उन्हें किस चीज की कमी थी? राजनीति, उद्योगपति और नौकरशाहों में उनका प्रभाव था. कई बड़े लोगों के वे गुरु महाराज थे, लेकिन निजी जीवन का तनाव वे सह नहीं पाए तथा दुनिया का कोई भी मनोचिकित्सक ऐसे निजी तनावों से मुक्ति नहीं दिला सकता है. भय्यूजी महाराज मनोरोग चिकत्सकों की सलाह ले ही रहे थे, परंतु एक दिन उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. इसलिए मनोरोग चिकित्सक ऐसे मामलों में फेल सिद्ध हुए हैं. जीने के लिए संघर्ष खुद ही को करना होता है. कोपरखैरने के अमर पवार को नौकरी की तो पुणे के राजेश शिंदे को चूल्हे जलने की चिंता थी, वह चूल्हा हमेशा के लिए बुझ जाएगा, इस भय से उसने आत्महत्या कर ली. उन दोनों शिंदे-पवार फाइल 24 घंटे में बंद हो गई और सुशांत की फाइल हिल रही है और चल रही है, क्योंकि उसकी आत्महत्या थोड़ी अलग है. संजय राऊत ने सुशांत की आत्महत्या के खबरों को मार्केटिंग का टैग देते हुए लिखा कि कोई किसी मौत या खुदकुशी का ‘उत्सव’ कैसे मना सकते हैं, किसी आत्महत्या की ‘मार्केटिंग’ कैसे की जा सकती है? इसके उदाहरण के रूप में सुशांत सिंह मामले को देख सकेंगे. जो उठता है वह इस प्रकरण में हाथ धो लेता है. इसका दो उदाहरण देता हूं और विषय को विराम देता हूं। 1) सुशांत सिंह राजपूत के जाने से उसके प्यारे कुत्ते ‘फज’ को गहरा आघात पहुंचा. सुशांत के प्यारे फज ने मालिक के जाने के गम में खाना-पीना ही छोड़ दिया और उसने भी दुखी होकर मौत को गले लगा लिया. यह खबर प्रसार माध्यमों में व सोशल मीडिया के जरिए वायरल हुई और बाद में खुलासा हुआ कि ‘फज’ जीवित है और ऐसा कुछ भी घटित नहीं हुआ है. 2) सुशांत के निधन के बाद 5वें-6ठें दिन, अभिनेत्री राखी सावंत ने एक और मजाक किया, उसने अपना एक वीडियो वायरल करके कहा कि कल रात सुशांत मेरे सपने में आए थे. सुशांत ने उन्हें नींद से जगाया और कहा कि ‘मोहतरमा आप विवाह कर लें, मुझे आपकी कोख से जन्म लेना है.' सुशांत की खुदकुशी के ये साइड इफेक्ट्स हैं, सिनेमा के पर्दे पर पहले ‘स्पेशल इफेक्ट्स’ जैसी चीज होती थी. अब ‘सुशांत इफेक्ट्स’ है. किसी को मौत के बाद भी सुकून से जीने नहीं देते हैं. कहीं सुशांत की प्रताड़ित आत्मा भी ‘डिप्रेसन’ आ जाए इससे पहले यह रुक जाना चाहिए!