सचिन पायलट के तीन विधायक दोस्तों ने क्यों कहा- हम अशोक गहलोत के साथ, सरकार पूरी तरह से सुरक्षित

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह कहकर कांग्रेस का दामन छोड़ दिया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ उनकी लगातार अनदेखी कर रहे थे. कुछ इसी तरह की पटकथा राजस्थान में भी लिखी जाने लगी है. एमपी के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार भी खतरे में है. यहां पर अब बागी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट हो गए हैं. वे अपने विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं और सोमवार 10ः 30 बजे जयपुर में होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में जाने से इंकार कर दिया है. सचिन ने ये भी दावा किया है कि उनके साथ 30 विधायकों का समर्थन है और तीन निर्दलीय भी संपर्क में हैं. हांलाकि सचिन के दावो के थोड़ी देर बाद ही कांग्रेस के धौलपुर की राजाखेड़ा विधानसभा से विधायक रोहित बोहर उर्फ पिंकी बाबू ने प्रेस कांफ्रेंस कर गहलोत सरकार के पक्ष में समर्थन देने की बात कहकर झटका दे दिया. सचिन पायलट के दोस्त दानिश अबरारए चेतन डूडी और रोहित बोहरा मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थेण् यहां आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों विधायकों ने कहा था कि हमारी आस्था मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में है. हम लोग दिल्ली अपने व्यक्तिगत काम से गए थे. इनमें से उनके सबसे करीबी राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है, हम अशोक गहलोत के साथ हैं और रहेंगे, कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में उनकी ये यात्रा निजी थी और यहीं पर उनकी मुलाकात दो अन्य विधायकों से हुई. वे भी अपने-अपने काम से दिल्ली में आए हुए थे. रोहित बोहरा ने कहा कि हमें कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था और हम पार्टी के साथ हैं. हम पूरे जीवन कांग्रेस के साथ रहेंगे. हम किसी और के साथ नहीं हैं. हम कांग्रेस के साथ हैं जो आला कमान हमें आदेश देगा हम वही करेंगे इसके अलावा कुछ नहीं. सचिन पायटल ये तीनों दोस्त और विधायकों का गहलोत के पक्ष में समर्थन देना पायलट के लिए झटका माना जा रहा है. एमपी जैसे हालात क्यों बने 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें मुख्यमंुत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन उन्हें उप मुख्यमंत्री पद किदया गया. हालांकि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखा. लेकिन कुछ दिनों से अशोक गहलोत और सचिन पायलट में ठीक नहीं चल रहा था. गहलोत उन्हें किसी भी नीतिगत फैसलों में शामिल नहीं करते थे. यही कारण है कि लगातार चल रहे मनमुटाव के बाद सचिन ने बगावत के तेवर दिखाए. दिल्ली में डेरा जमाए सचिन पायलट की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नहीं हुई है. वहीं सचिन पायलट का खेमा दावा कर रहा है कि गहलोत सरकार अल्पमत में आ गई है और हमारे संपर्क में 30 विधायक है. वहीं अशोक गहलोेत गुट का दावा है कि उनके पास 100 विधायकों का समर्थन है.