इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नॉटिफिकेशन को लेकर अधिवक्ता ने लिखा मुख्य न्यायाधीश को पत्र
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच कई उद्योग धंधे और शैक्षणिक संस्थान बंद हो गए थे अभी भी अनलॉकके दौरान कई उद्योग धंधे तो खुल गए, लेकिन शैक्षणिक संस्थान विभिन्न विश्वविद्यालय अभी भी बंद पड़े हुए हैं. कुछ विश्वविद्यालय ऑनलाइन कक्षाएं और ऑनलाइन एग्जाम के माध्यम से अपनी शैक्षणिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसी बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तरफ से वहां उनके हॉस्टल में रह रहे छात्रों के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसमें उन्होंने छात्रों से हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया.
[caption id="attachment_4321" align="alignnone" width="875"] इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी पत्र[/caption]
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्टूडेंट वेलफेयर के डीन के पी सिंह और चीफ प्रॉक्टर आरके उपाध्याय की तरफ से एक पत्र जारी कर छात्रों को हॉस्टल जल्द से जल्द खाली करने के लिए कहा गया और उस पत्र में यह भी कहा गया कि अगर हॉस्टल जल्द से जल्द छात्रों द्वारा नहीं खाली किया गया तो उसे जबरदस्ती खाली करवाया जाएगा. इस बात को संज्ञान में लेते हुए छात्रों के हितों के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सत्यम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि एडमिनिस्ट्रेशन की कार्यप्रणाली छात्रों के हितों के विरोध में चल रही है. कोरोना वायरस महामारी के बीच अब छात्र जो फंसे हुए हैं, उन्हें बिना किसी सुरक्षा के घर जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि यदि विश्वविद्यालय अपने हॉस्टल को खाली करवाना चाहता है, तो उसे छात्रों के लिए सुरक्षित और आसान यात्रा की व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे वे अपने घर सुरक्षित पहुंच सके. क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जाना अभी सुरक्षित नहीं माना जा रहा है. तो छात्रों को कैसे बिना किसी सुरक्षा के हॉस्टल से निकलकर अपने घरों के लिए को जाने के लिए कह सकते हैं. इस प्रकार उन्होंने अपने पत्र में अन्य कई मुद्दों को उठाया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तथा इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुच्छेद 21 को ध्यान में रखकर इस आदेश पर अपनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया है.