कांवड़ यात्रा पर लगाई रोक, धर्मगुरुओं ने कही ये बात
अलीगढ़. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते काफी लोगों को नुकसान हुआ है लेकिन अगर सबसे ज्यादा परेशानी किसी को हुई है तो वो हैं रोज़ाना का कमाने खाने वाले लोग हैं. कोरोना काल के संकट में धार्मिक गतिविधियां भी घर में ही प्रभावित हो रही हैं. रमजान के पवित्र महीने के बाद अब कांवड़ यात्रा को भी कोरोना संकट का सामना करना पड़ रहा है. डीएम चंद्र सिंह की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में कांवड़ यात्रा व शिवरात्रि को लेकर धर्मगुरूओं व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये शासन स्तर पर विचार करने के बाद कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गयी है. कांवड़ के दौरान मंदिरों में जलाभिषेक करने की परंपरा को बनाए रखते हुए भक्त एक साथ भीड़ में न आकर कोरोना वायरस के संक्रमण से खुद भी और दूसरों को भी सुरक्षित रखते हुए जलाभिषेक कर सकते हैं. उन्होने सभी धर्मगुरूओं एवं संतो से अनुरोध किया कि जनजागरूकता के उद्देश्य से कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गयी है इसी सम्बन्ध में सभी को घरों में ही पूजा-पाठ करने की अपील करें. इस पर सभी धर्मगुरूओं ने प्रशासन का सहयोग करने का आश्वासन दिया. आचार्य बृजेश शास्त्री ने कहा कि वर्तमान में पूरा संसार कोरोना महामारी के संकट काल से गुजर रहा है. सभी सनातन धर्मियों का परम कर्तव्य है कि हम अपने से ज्यादा दूसरों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिये चिंतित होते हुए ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे किसी को दुःख या पीड़ा पहुँचे. बल्कि अपने घरों में स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाकर विधिवत पूजा करें. उन्होंने यह भी कहा कि यदि घर में शिवलिंग स्थापित नहीं है तो परम पिता परमेश्वर को याद करते हुए पार्थिव पूजा या अपने अंगुष्ठ पर ही जलाभिषेक कर सकते हैं. इससे उसी फल की प्राप्ति होगी जो मंदिर में जलाभिषेक करने से होती है. इस दौरान सिद्धपीठ गिलहराज मंदिर के महंत कौशल नाथ महाराज, नोदेवी मंदिर के महंत छोटू महाराज, खेरेश्वर मंदिर से सत्यपाल सिंह मौजूद रहे.