जूता कारोबार से जुड़े कारीगरों के सामने रोजगार का संकट, सरकार से मदद की अपील
आगरा. कोविड-19 संक्रमण काल ने दुनिया भर में मशहूर आगरा के जूता उद्योग की कमर तोड़ दी है आलम यह है कि जहां करोड़ों रुपए का घाटा इस उद्योग का हो रहा है. तो वहीं इन उद्योगों में काम करने वाले हजारों कारीगरों के सामने आज भुखमरी की नौबत आ गई है इनकी आर्थिक स्थिति भी बद से बदतर हो चली है हाल ही में काम न मिलने के कारण थाना जगदीशपुरा के अंतर्गत एक जूता कारीगर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आगरा में लॉकडाउन से घरेलू जूता कारोबार बर्बाद हो गए है. छोटे-बड़े 5000 कारखाने अनलॉक एक में 28 दिन बाद भी नहीं खुल पा रहे है. जूता कारोबार के भी बाजार नहीं खुल रहे घरेलु जूते के कारखाने मालिकों का कहना है कि देश भर में आगरा के जूता कारोबारियों की करीब 100 करोड़ रूपए की उधारी फँसी हुई है. ऐसे में सिर्फ आगरा से निर्यात होने वाले सालाना टर्न ओवर का 400 करोड़ रुपये का कारोबार होली से ठप पड़ा हुआ है. कारखानों में दिवाली तक काम शुरू होने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे है. उद्योग इकाई जूता फैक्ट्री व कारखाने को 24 घंटे चलाने की अनुमति भी है. लेकिन पटरी से उतरा घरेलू जूता कारोबार सबसे नाजुक दौर से गुजर रहा है. अनलॉक वन के 28 दिन बाद भी कारखाना चालू नहीं हो सका फिलहाल जो हालात हैं उसके अनुसार दिवाली तक इन पर ताला ही लटका रहेगा. फिलहाल जूता कारीगरों का कहना है कि सरकार उनकी तरफ ध्यान दें क्योंकि आगरा का जूता कारोबार उत्तर प्रदेश के राजस्व में एक बड़ा हिस्सा भी अदा करता है कारीगरों के परिवारों को भी सरकार द्वारा कुछ ना कुछ व्यवस्था करनी चाहिए.