Exclusive: तंगहाली में हैं ताजमहल इमाम, कभी लेते थे 15 अशर्फी, अब सरकार नहीं देती 15 रुपये भी
[caption id="attachment_2146" align="aligncenter" width="720"] इमाम के बेटे हाफिज सैयद बुरहान अली[/caption]
आगरा. अगर ठीक से ढाबे पर चले जाएं तो 15 रुपये की चाय भी नहीं मिलती. और आज के दौर में किसी की पगार ही 15 रुपये तो आप सोचिए कि वो घर कैसे चलाता होगा. अब आप सोच रहे होंगे कि इतने कम पैसे किसे मिलते होंगे तो हम आपको बताते हैं जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे कि जिस मुहब्बत की संगमरमरी इमारत ताजमहल के दीदार करने के लिए दुनिया दीवानी हो. सरकार भी हर माह करोड़ों रुपये कमाती हो लेकिन उसके पास अपनी मस्जिद में नमाज पढ़ाने वाले इमाम को तनख्वाह देने के लिए पैसा नहीं. उन्हें 5व पैसे प्र्रतिदिन के हिसाब से प्रत्येक माह 15 बतौर पगार के रूप में रुपये दिए जाते हैं वो भी 2018 से मिले नहीं. ऐसे में आप सोच सकते हैं कि शाही इमारत के इमाम की हालत क्या होगी
ताजमहल की तामीर के साथ ही उसकी मस्जिद को बनाया गया था. इसमें मुगल बादशाह नमाज अदा करते थे और नमाज शाही इमाम अदा कराते थे. तब से लेकर आज तक इस मस्जिद में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही खानदान का आदमी नमाज अदा कराता चला आ रहा है. मुगल दौर में मस्जिद के इमाम को बतौर पगार 15 सोने की अशर्फी मिलती थी, अंग्रेजी हुकूमत में सोने की गिन्नी और भारत आजाद होने पर चांदी के सिक्के. आजादी के कुछ साल बाद सरकार ने 15 सिक्कों की रिवायत को तो जिंदा रखा मगर, चांदी हटाकर भारतीय मुद्रा देना शुरू कर दिया मगर हुक्मान पगार तय करते वक्त ये भूल गए कि जिस मुद्रा को आप 15 रुपये के तौर पर देना चाहते हो वो अशर्फी, गिन्नी या चांदी के सिक्कों के बराबर की कीमत नहीं रखते हैं. इन सिक्कों के चक्कर में ताजमहल के इमाम को का खर्च चलाना भी मुकिश्ल हो रहा है.
ताजमहल के इमाम सैयद सादिक अली कहते हैं कि हमारी आठवीं पीढ़ी नमाज अदा करा रही है. अंग्रेज शासन और उसके बाद तक तो ठीक था लेकिन उसके बाद तो हमें 15 रुपये तनख्वाह दी जा रही है जो आज के दौर में कुछ भी नहीं. महीने में पंद्रह रुपये देते हैं लेकिन आज तो इतने में 500 ग्राम दूध भी नहीं आता तो पूरे महीने का खर्च कैसे चलाएंगे. और तो और ये तनख्वाह भी अगस्त 2018 से नहीं मिली.
नायब इमाम हाफिज सैयद बुरहान अली ने कहा कि ताजमहल की मस्जिद में नमाज पढ़ाने का काम तो हमारे परदादा भी करते थे अब मैं भी कर रहा हूं लेकिन सरकार को इस ओर सोचना चाहिए. वहां के सफाई कर्मचारी को भी 40 हजार के करीब तनख्वाह मिलती है लेकिन हमारे वालिद साहब यानी ताजमहल के इमाम को 15 रुपये. सरकार को हमारे साथ इंसाफ करना चाहिए.
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इमाम के बेटे हाफिज सैयद बुरहान अली[/caption]
मुतवल्ली सैयद मुनव्वर अली ने कहा कि हमने काफी लिखा पढ़ी की लेकिन एएसआई हर बार कह देती है कि हमारे पास इसके लिए कोई बजट नहीं. इतने कम पैसों में इमाम साहब के घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता है. हमारी सरकार से माग है कि ताजमहल के इमाम की तनख्वाह बढ़ाई जाए जिससे वे अपने परिवार का पालन ठीक से कर सकें.