करंट लगने से माँ की मौत, बन्दर के छोटे बच्चे की देखभाल कर रहा वाइल्डलाइफ SOS!
आगरा. घटिया आज़म खान में एक हाई वोल्टेज बिजली लाइन की चपेट में आने से बंदरिया की मौके पर ही मौत हो गई, जिसके बाद उसका लगभग 20 दिन का बच्चा अनाथ रह गया. वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस की देखरेख में, शिशु बन्दर एक अन्य बन्दर के बच्चे से दोस्ती कर चुका है और दोनों में अब अटूट दोस्ती का गहरा रिश्ता बन चुका हैं!
[caption id="attachment_587" align="aligncenter" width="780"] मां की मौत के बाद अकेला हुआ बंदर का बच्चा दूसरे बच्चे के साथ.[/caption]
आगरा के घटिया आज़म खान में बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद ज़िन्दगी से जंग हारती हुई मादा बंदरिया के बगल में उसका बच्चा उससे लिपट कर बैठा हुआ था. इस दुखद घटना की साक्षी बनी महिला, उनकी सहायता के लिए दौड़ी, लेकिन माँ ने तब तक दम तोड़ दिया था. 24 घंटे के रेस्क्यू हेल्पलाइन (+ 91-9917109666) पर इस घटना की सूचना प्राप्त होते ही, वाइल्डलाइफ एसओएस से दो सदस्यीय टीम स्थान पर पहुंच गई। 20 दिन के नर के रूप में पहचाने गए बच्चे को आगे की देखभाल और उपचार के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस एनिमल शेल्टर में लाया गया.
वाइल्डलाइफ एसओएस पशु चिकित्सकों द्वारा प्रारंभिक जांच से पता चला कि बढ़ती गर्मी के कारण बच्चा गंभीर रूप से निर्जलित और थका हुआ था इसलिए पुरे दिन में उसे कई बार कम मात्रा में ओरल रिहाईड्रेशन और ग्लूकोज का पानी प्रदान किया जा रहा है. बच्चे को एक अन्य बंदर के बच्चे से मिलवाया गया, जिसे भी इसी तरह की घटना से बचाया गया था और दोनों ने दोस्ती का गहरा रिश्ता बन चुका है! अब वे दोनों दिन भर में खिलोनो के साथ खेलते और साथ में आराम करते अक्सर देखे जाते हैं.
वाइल्डलाइफ़ एसओएस से संपर्क करने वाली, फराह खान, ने बताया कि माँ को मरते देखना दिल दहला देने वाला दृश्य था, जबकि डरा और सहमा बच्चा आराम की तलाश में उससे लिपट कर बैठा हुआ था. वह भय और भ्रम में था, इसलिए मैंने उसे दर्दनाक द्रश्य से दूर किया और मदद के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस को बुलाया.
वाइल्डलाइफ एसओएस के वेटरनरी सर्विसेज के उप-निदेशक डॉ. एस. इलियाराजा ने कहा कि चूंकि, बंदर केवल 20 दिन का है, हम उसे अत्यधिक देखभाल प्रदान कर रहे हैं. मौसम में परिवर्तन और बढती गर्मी के कारण, हमने पहले 24 घंटों में बच्चे का अधिकतम आराम सुनिश्चित करने के लिए उसे तापमान नियंत्रित कमरे में रखा।.
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि ऐसे छोटे बच्चों का पालन-पोषण एक कठिन प्रक्रिया है, जिसके तहत हम उनके माता-पिता की कमी को भरने की कोशिश करते हैं, जिससे यह जानवर बड़े हो कर अपने दम पर जीवित रह सके. हमारी टीम ने पहले भी कई अनाथ बन्दर के बच्चों का पालन-पोषण किया है, इसलिए वे उन्हें विशेष देखभाल प्रदान करने के लिए सुसज्जित हैं. हमें उम्मीद है कि दोनों बच्चों की यह दोस्ती का उनके शारीरिक और भावनात्मक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा!